अयोध्याकाण्ड : राम को राजा बनाने के लिए गुरु से बात करना


मेरे सभी परम प्रिय मित्रों आप सभी को उमाशंकर वशिष्ट की तरफ से जय श्री राम प्रभु श्री रामचंद्र जी व श्री जनक दुलारी जानकी सीता मैया जी आप पर आपके परिवार पर सदा अपनी कृपा बरसाते रहें यही हम प्रभु से आशा करते हैं
हमने आपके समक्ष राम जन्म में सीता मैया जन्म पर रावण जन्म की सारी कथाएं आप तक पहुंचाई उम्मीद करते हैं आपको यह सभी कथाएं सुंदर लगी होंगी लिखने में कई बार गलतियां हो जाती हैं उसके लिए क्षमा चाहता हूं आगे और सुधार करने की कोशिश करूंगा





अब तक हमने आपको राम चरित्र मानस बालकाण्ड की रचनाएं आपको प्रस्तुत किए आगे हम आपको अयोध्याकाण्ड में लेकर चल रहे हैं आप सभी से मेरी प्रार्थना है कि यह रामायण की कथाये सभी तक जरूर पहुंचाएं





जिनकी गोद में हिमाचल पुत्री पार्वती, मस्तक पर गंगा जी, मुख पर चंद्रमा जिनके गले में विश्व और सीने पर सर्पो के राजा शेषनाग शोभायामान है भष्म विभूति से सुसज्जित देवताओं में सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि संहारकरता व भक्तों के पापों को नाश करने वाले श्री शंकर जी सदा मेरी सहायता करना





नीलाम्बुजश्यामलकोमलांग, सीता रोपितवाम भागमं
पाणो महासायक चारू चापं नाममि रामं रघुवंशनाथाम

Ramayan




नील कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं श्री सीता जी जिनके बाम अंग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में अमोघ बाण और सुंदर धनुष है उन रघुवंश के स्वामी श्री रामचंद्र जी को मैं बारंबार नमस्कार करता हूं





श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि
बरनउँ रघुवर विमल जस जो दायक फल चारि

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श्री गुरु जी के चरण कमलों की मिट्टी से अपने मन रूपी दर्पण को साफ करके मैं रघुनाथ जी के उस निर्मल यस का वर्णन करता हूं जो चारों फलों को देने वाला है





जब से रामचंद्र जी विवाह करके घर आए हैं तब से अयोध्या में रोजाना मंगल गान हो रहा है चौदह लोको मे मेघ सुख रूपी बरसा वरसा रहे है अयोध्या की शोभा कुछ कहीं नहीं जाति ऐसा जान पड़ता है मानव ब्रह्मा जी की कारीगरी बस इतनी है नगर के सभी लोग राम की छवि देख कर रोजाना खुशी मनाते हैं
सभी महादेव जी से प्रार्थना करते हैं कि हे भोलेनाथ राजा दशरथ अपने जीते जी ही राजा राम को राजा घोषित कर दें





एक समय सब सहित समाजा राज सभा रघुराज विराजा
सफल सुकृत मुरति नरनाहू राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहूँ

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एक समय की बात है राजा दशरथ जी अपने सारे समाज सहित राज सभा में विराजमान थे उन्हें राम जी का यस सुनकर अधिक आनंद हो रहा था सभी राजा उनकी कृपा चाहते हैं और लोकपाल गण उनकी बात को मानते हुए उन्हें बहुत प्यार करते हैं तीनों भवनों में और तीनों कालों में राजा दशरथ जैसा और कोई नहीं है राजा दशरथ ने दर्पण में अपना मुख देखा और सोचा कि अब मेरा बुढ़ापा आ चुका है तो क्यों ना मैं राम को राजा बना कर अपना जीवन सफल करूं





यह विचारि उर आनि नरप सुदिन सुअवसर पाई
प्रेम पुलाकि तन मुदित मन गुरूहि सुनाय हूजाई

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एक दिन राजा दशरथ के मन में जब यह विचार आया तो शुभ दिन जानकर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ आनंद मगन मन में गुरु वशिष्ट जी को जाकर बताया राजा ने कहा मुनिवर राम अब सब प्रकार से योग्य हो गए हैं सेवक मंत्री सभी नगरवासी और जो हमारे शत्रु या जो हमसे नाराज हैं उन सभी को राम ऐसे प्यारे हैं जैसे मुझे राम प्यारे हैं हे गुरुवर आपकी ही तरह सभी ब्राह्मण उनसे प्यार करते हैं जो गुरु के चरणों की मिट्टी को सर पर रखते हैं वह लोग सारे सुखों को अपने वश में कर लेते हैं इसका अनुभव मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता आपके चरणों की पूजा करके मैंने सब कुछ पा लिया हे मुनिवर अब मेरे मन में एक ही इच्छा है वह भी आपकी कृपा से पूरी होगी राजा दशरथ का प्रेम देखकर मुनि व ने प्रसन्न होकर कहा राजन आज्ञा दीजिए





सब विधि गुरु प्रशनन जिय जानी बोलेऊ राऊ रहितम्रदु बानी
नाय राम कीजिय युवराजू कहिअ क्रपा करि करिअ समाजू

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राजा दशरथ ने सोचा इस समय गुरु जी प्रसन्न है तब राजा दशरथ मीठी प्रसन्न वाणी से बोले हे नाथ पुत्र रामचंद्र को राजा बनवा दीजिए कृपया करके कहिए तो तैयारी की जाए मेरे जीते जी अगर यह सब कार्य हो जाए सब लोग अपनी आंखों से सब कार्य होता हुआ देखे तो सबकी आंखों को सुख मिलेगा प्रभु के प्रसाद से शिव जी ने सारे कार्य बना दिए केवल यही एक लालसा मन में रह गई है





फिर पता नहीं यह शरीर रहे यहां चला जाए जैसे मुझे पीछे पछतावा ना हो दूसरे जी के शुभ और मंगल वचन सुनकर गुरु वशिष्ठ अति प्रसन्न हुए और बोले हे राजा सुनिए जिनसे विमुख होकर लोग पछताते हैं और जिनके भजन बिना मन को शांति नहीं मिलती वही स्वामी प्रभु राम आप के पुत्र हैं जो पवित्र प्रेम के अनुरागी हैं हे राजन अब देरना कीजिए सभी सामान लगाइए सुंदर और शुभ दिन वही है जिस दिन राम जी राजा बन जाए राजा दशरथ खुश होकर महल में आ गए और उन्होंने मंत्री सेवक समेत सभी को बुलवाया उन लोगों ने राजा को प्रणाम किया तब राजा ने सुंदर वचन सुनाएं


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