राम जी ने कौशल्या माता को दिखाया गया विशाल रूप


मेरे प्यारे साथियों अब तक आपने रामायण में भगवान श्री राम एवं सीता माता के जन्म के बारे में तथा रावण के जन्म के बारे में और रामायण में बताई गई राम तथा उनके भाइयों की लीलाओं के बारे में पढ़ा आज हम श्री राम और उनके भाइयों ने किस तरीके से गुरुजी से शिक्षा और दीक्षा प्राप्त किए उसके बारे में बात करेंगे


प्रेम मगन कौशल्या निस दिन जात न जान
सुत सनेह वस माता बाल चरित कर गान

Ramayan

एक समय की बात है कौशल्या माता ने राम को स्नान कराया और तत्पश्चात स्वयं स्नान करके अपने इष्टदेव भगवान की पूजा अर्चना की और उसके बाद अपने कुलदेवता को 56 भोगो का भोग लगाया और फिर कौशल्या माता रसोई में चली गई जहां खाना बना हुआ रखा था रसोई में माता देखते हैं कि उनका लल्ला यानी श्री राम वहां बैठकर भोजन कर रहे हैं यह देख कौशल्या माता भयभीत हो गई और वह तुरंत अपने पुत्र श्री राम को पालने में देखने गए वहां उन्होंने देखा कि रामजी तो पालने में ही थे अब यह देखने के पश्चात कौशल्या माता इस सोच में पड़ गई कि मेरा पुत्र राम यहां भी और रसोई में भी क्या यह है संभव है यहां पर मात्र मेरा भ्रम है प्रभु ने माता को घबराई देख कर धीरे से मुस्कुराने लगे और फिर जोर से हंसने लगे


फिर उन्होंने माता कौशल्या को अपना विराट रूप दिखाया 


करि पूजा नैबेद्य चढ़ावा। आपु गई जहँ पाक बनावा॥
बहुरि मातु तहवाँ चलि आई। भोजन करत देख सुत जाई॥
भावार्थ:-पूजा करके नैवेद्य चढ़ाया और स्वयं वहाँ गईं, जहाँ रसोई बनाई गई थी। फिर माता वहीं (पूजा के स्थान में) लौट
आई और वहाँ आने पर पुत्र को (इष्टदेव भगवान के लिए चढ़ाए हुए नैवेद्य का) भोजन करते देखा| 


श्री राम ने उनको जब अपना विराट रूप दिखाया तू माता कौशल्या ने देखा कि उनके  एक एक रोम में करोड़ों ब्रह्मांड लगे हुए हैं अनगिनत सो रही है अनगिनत चंद्रमा शिव ब्रह्मा पर्वत नदियां समुंद्र भवन ऐसा अद्भुत रूप देखा 



एवं माता कौशल्या ने देखा कि माया जो स्वयं दोनों हाथ जोड़ें भगवान के समक्ष खड़ी हैं यमराज स्वयं उनकी वंदना कर रहे हैं सारे देवगन की मंगल आरती कर रहे हैं


तब त्रिदेव यानी स्वयं भगवान शिव जी कहते हैं हे पार्वती माता कौशल्या का शरीर खुशी के मारे इतना प्रफुल्लित हो गया है की उनके मुख से आवाज नहीं निकल रही तब माता ने आंखें बंद करके रामचंद्र जी के चरणों में शीश नवाया


माता कौशल्या को आश्चर्यचकित देखकर श्री राम ने वापस अपना बाल रूप धारण किया और माता कौशल्या को समझाया कि हे माता आप यह बात कभी किसी को ना बताइएगा


बार बार कौशिल्या विनय करई कर जोरि 
अब जनि कबहुन व्यापें प्रभू मोहि माया तोरि 

Ramayan

तब कौशल्या माता दोनों हाथ जोड़ पुत्र राम से कहती हैं हे पुत्र मुझे कभी अपनी यह माया मत दिखाना 
भगवान ने अपने बाल काल में बहुत ही प्रकार की बाल लीलाएं की और उसके बाद चारों भाई बड़े होकर अपने कुटुम्बीयो यानी मित्रों के साथ आनंद लीलाएं करने लगे तब गुरु जी ने चुडा कर्म संस्कार किया एवं ब्राह्मणों ने फिर दक्षिणा पाई और उसके बाद चारों भाई शिकार पर जाने लगे कहते हैं की जिसका भी श्री राम के द्वारा शिकार होता था वह सीधा बैकुंठ धाम को जाता था
कुछ समय के बाद चारों भाई गुरु वशिष्ठ के आश्रम चले गए और शीघ्र ही थोड़े ही समय में भिन्न भिन्न प्रकार की विद्या सीखी

फिर श्री राम जी ने अपने तीनों भाइयों को वेद पुराण विद्या पढ़ाई और सभी को ज्ञान दिया इसी प्रकार समय का पहिया तेजी से चलता रहा चारों भाई रोजाना कुछ ना कुछ सीखते थे

आज के समय में गुरु वशिष्ट जी के आश्रम की कुछ खास बातें


वर्तमान समय में राजस्थान राज्य के अंदर माउंट आबू नाम का एक  पहाड़ी क्षेत्र है और यही माउंट आबू के जंगलों के बीच में स्थित है महा ऋषि वशिष्ठ आश्रम बताते हैं यही वह आश्रम है जहां से भगवान श्री राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ शिक्षा प्राप्त की थी इसे वशिष्ठ गुरुकुल के नाम से भी जाना जाता है यह वही जगह है जहां चारों भाइयों ने महा ऋषि वशिष्ट जी से शिक्षा दीक्षा ली थी


माउंट आबू में स्थित गुरु वशिष्ट जी के इस आश्रम में प्रवेश लेने के लिए आपको 450 सीढ़ियों से नीचे उतरना होता है इस गुरुकुल  की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1206 मीटर यानी लगभग 4000 फीट है और यह आज से 5500 साल पुराना एक ऐतिहासिक मंदिर है


जो लोग भगवान श्री राम के अस्तित्व को लेकर प्रसन्न करते हैं उन्हें यहां जरूर जाना चाहिए इस गुरुकुल के हर एक कोने कोने में भगवान श्री राम जी के होने के साक्ष्य मौजूद हैं अर्धकाशी कहलाने वाले भगवान राम की इस नगरी में भगवान राम की पाठशाला भी है उनकी लीला से जुड़े कई स्थल भी है


अलग-अलग देखो सेबी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे विद्यार्थी यहां पर

यहां पर इस बात के प्रमाण तो मिलते ही हैं कि श्री राम और उनके दोनों भाइयों यानी लक्ष्मण और भरत को योग और शिक्षा महर्षि वशिष्ठ ने दी थी पर साथ ही मैं स्थित गोमुख वशिष्ठ आश्रम सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि विश्व में अपना अलग स्थान रखता है यह जगह शिक्षा का केंद्र है जहां देश और विदेश से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं और आपको शायद पता हो या नहीं परंतु हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है और यह कहा भी गया है कि यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है 


यदि आप सभी को श्री राम की बाल कथाएं तथा उनकी शिक्षा संबंधित जानकारी पसंद आई है तो आप मुझे कमेंट के जरिए बता सकते हैं तथा आप यह लेख अपने सभी साथियों और परिवारजनों के साथ सांझा जरूर करें धन्यवाद


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