भगवान श्री राम एवं उनके भाइयों का जन्म तथा श्रृंगी ऋषि द्वारा किया गया यज्ञ कीकहानी Ramayana - Umashanka Vashisthr

गये देव सब निज निज धामा भुमि साहित मन कहूं विश्रामा 
जो कछ आयसू ब्रहमा दीना हरषे देव दिलम्बन कीना 

Ramayan

सब देवता अपने अपने लोक को वापस चले गए और पृथ्वी माता सहित सभी को अपार प्रसन्नता हुई और श्रीहरि द्वारा की गई भविष्यवाणी को सुनने के बाद उन्होंने देर नहीं की और सभी देवताओं ने वानर देह यानी शरीर धारण कर लिया सभी वानर रूप धारण किए देवताओं में अत्यंत बल था सभी वानरों के अस्त्र भी पूर्ण रूप से प्राकृतिक थे जैसे कि पत्थर लकड़ियां

सभी वानर भगवान हरि के अवतार श्री राम के आने की राह देखने लगे तथा सभी ने जंगलों में अपनी वानर सेना भी बना ली और जंगलों में रहना शुरू कर दिया


अब मैं आपको रामायण के उस चरित्र के बारे में बताता हूं, जो मैंने बीच में छोड़ दिया था अवधपुरी में रघुवर शिरोमणि दशरथ नाम के राजा हुए राजा दशरथ के मन में धनुष धारण करने वाले भगवान की भक्ति थी और उनका मन हमेशा उनका ही सुमिरन करता रहता था  
एक बार राजा के मन में इच्छा हुई और वह अपने गुरु के पास चले गए और उनसे बोले मेरे पुत्र नहीं है मैं क्या करूं गुरुवर तब गुरु वशिष्ठ ने उन्हें समझाया कि हे राजन आपके भविष्य में 4 पुत्र होंगे और वह चारों तीन लोग मैं प्रसिद्ध होंगे एवं वह सभी दुखियों के दुख को हरने वाले होंगे

उसके बाद ऋषि वशिष्ठ जी ने श्रृंगी ऋषि सं को बुलवाया और वशिष्ठ जी ने श्रृंगी ऋषि से पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया,श्रृंगी ऋषि भक्ति सहित यज्ञ में आहुतियां देने लगे और उनके इस यज्ञ से श्री अग्निदेव अपने हाथों में एक हीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए तत्पश्चात ऋषि वशिष्ठ जी ने कहा हे राजन जो तुमने मन में विचार आ था कि तुम्हारे पुत्र हो वह कार्य आप सिद्ध हो गया  और वह खीर का कटोरा उन्होंने राजा दशरथ को दे दिया 


और ऋषि वशिष्ठ ने दशरथ जी से कहा हे राजन तुम यह, खीर अपनी पत्नी को खिला देना फिर राजा दशरथ ने अपनी सभी रानियों को बुलवाया एवं राजा ने कौशल्या को दिया आधे के दो भागे किये उस मे से  एक भाग राजा ने केकई को दिया शेष बची हुई खीर को फिर से राजा ने दो भागों में बांट दिया और कौशल्या के कई के हाथ पर रख दिया और उनका मन प्रसन्न रहें इसलिए उन्होंने बचा हुआ था सुमित्रा को दिया 


ऐहि विधी गर्भ सहित सबनारी भई हदय हराषित सुख भारी 
जा दिन ते हरि गर्भ हि आये सकल लोक सुख सम्पति छाये 

Ramayan


कुछ समय पश्चात सभी रानियां गर्भवती हुई और वह शुभ दिन आ ही गया जब श्री रामचंद्र भगवान का जन्म होना था
पवित्र चैत्र का महीना नवमी तिथि शुक्ल पक्ष आकाश में सभी देवी देवता फूल बरसा रहे थे और जनमीत बच्चे की आवाज सुनकर सब अयोध्या दौड़े चले आए अयोध्या में बाजे बजने लगे हर तरफ खुशियां ही खुशियां थी 


कौशल्या ने राम को और केकई सुमित्रा ने लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को जन्म दिया अवध में हर तरफ खुशियां और बधाइयां ही सुनाई दे रही थी पूरा आवाज दीपावली की तरह सज गया  


मेरे प्यारे देशवासियों सबको जय श्री राम प्यारे भाइयों बच्चों बुजुर्गों माता बहनों बेटियों का गुरुजनों अभी आपने
रामायण का एक नया अध्याय पढ़ा और जाना कि किस प्रकार धरती पर श्री राम अपने भाइयों के साथ अवतरित
हुए और उन्होंने मानव कल्याण के लिए क्या-क्या काम करें उनके बारे में हम आगे बात करेंगे रामायण बहुत ही
सारी घटनाएं घटित हुई है और हर एक घटना हमें हमारे जीवन में कुछ ना कुछ प्रेरणा जरूर देती है जय श्री राम 


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