राजा जनक का श्री राम लक्ष्मण के बारे में जानना or अहिल्या के उद्धार की कथा


राजा जनक ने मुनि विश्वामित्र से कहा हे गुरुवर यह दोनों साधु पुत्र हैं यहां किसी राजवंश से हैं तो गुरु विश्वामित्र जी कहते हैं कि राजन यह दोनों रघुकुल शिरोमण सूर्यवंशी राजा दशरथ के राजकुमार हैं इन दोनों को मैं राजा दशरथ जी से अपनी सुरक्षा हेतु मांग कर लाया हूं इन दोनों राजकुमारों ने ताड़का सुबाहूँ का वध किया है तथा गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार भी किया है एवं इनका मुकाबला रण में कोई नहीं कर सकता 


पुनि पुनि प्रभूहि चितवनरना हू पुलक गात उर अधिक उछा हूँ
मुनिहि प्रशंशि नाई पद रीशू चेलेऊ लिवाय नगर अविनिशू ॥

Ramayan


राजा जनक जी बार-बार प्रभु श्री राम को देखते हैं और उनका मन बहुत ही प्रसन्न हो रहा है राजा जनक ने बार-बार मुनि की प्रशंसा की और उन्हें उनके चरणों में शीश नवा कर राजा जनक ऋषि विश्वामित्र को नगर की ओर ले गए 


राजा जनक ने ऋषि विश्वामित्र जी को एक महल में ठहरा दिया और राजा ने गुरु की मना करके उनसे चलने की अनुमति मांगी और राजा जनक  अपने महल की ओर चल दिए  गुरु विश्वामित्र जी श्री राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण सहित साथ में भोजन किया और और विश्राम करने के पश्चात दोनों भाई बैठे हुए थे अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था  


श्री राम जी ने देखा कि उनके प्यारे भाई श्री लक्ष्मण जी के मन में नगर देखने की लालसा है तब वह गुरु जी से दोनों हाथ जोड़कर बोले हे गुरुवर अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं भाई को नगर दिखा लाऊं श्री राम जी की यह बात सुनकर गुरु विश्वामित्र मुस्कुराए और कहने लगे हे राम तुम धर्म की रक्षा और मर्यादा का पालन करने वाले हो


सुख के सागर दोनों भाई जाओ नगर देख आओ नगर वासियों को अपनी सुंदर छवि के दर्शन कराओ और सब को प्रसन्न करो


मुनि पद कमल वनदि दोऊ भाई चले लोक लोचन सुख दायी 
बालक व्रन्द देखि अति शोभा लगे संग लोचन मनु लोभा ॥

Ramayan


तीनो लोको के नेत्रों को सुख देने वाले दोनों भाई मुनि के चरण कमलों की वंदना करके नगर घूमने चल देते हैं जनकपुर की सारी प्रजा उनका रूप देखकर भगवान से प्रार्थना करती है हे प्रभु यह स्वयंबर देखने आए हैं सीता जी का विवाह इनसे ही करवाना सभी सखियां आपस में बात कर रहे हैं वह बोल रही हैं आपस में की इन्होंने करोड़ों कामदेव की छवि को जीत लिया है सभी देवता आकाश में से यह नजारा देख कर बहुत प्रसन्न  हैं  जो बड़े भाई श्रीराम हैं वह कौशल्या माता के पुत्र हैं जो पीछे चल रहे हैं वह हे सखी सुमित्रा माता के पुत्र हैं दोनों भाई नगर में घूम रहे हैं जनता ख़ुशी मना रही है





जैसा कि आप सभी लोग अब तक मुझ से परिचित हो चुके होंगे एवं आप सभी जान चुके होंगे कि मेरे जीवन का
 एकमात्र लक्ष्य श्री राम के नाम को हर घर हर दिल तक पहुंचाना है आप मेरा सहयोग कर सकते हैं इस लेख को 
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