राजा दशरथ का गुरु वशिष्ट से मिलना Raja Dasharath ka Guru Vashisht se milana


 राजा दशरथ का गुरु वशिष्ट के पास जाना


 तव उठि भूप वाशिष्ठ कहँ दीन्ह पत्रिका जाय
 कथा सुनाई गुरुहि सब सादर दूत बुलाय

Ramayan

राजा दशरथ भरत शत्रुघ्न व सभी मंत्रियों व दूतों के साथ गुरु वशिष्ट जी के पास गए और उनको राजा जनक की पत्रिका हाथों में सौंपी और गुरु जी को अभिवादन किया और आदर पूर्वक सारी कथा सुनाई सारा समाचार सुनकर अत्यंत सुख पाकर गुरुजी बोले ऐसे धर्मात्मा पुरुष के कारण आज पृथ्वी माता कितनी खुश है जैसी नदियां समुद्र में जाती हैं लेकिन समुद्र को नदी की कामना नहीं होती वैसे ही सुख संपत्ति धन वैभव सबकुछ धर्मात्मा पुरुष को बिन मांगे  मिल जाता है तुम जैसे ब्राह्मण और गऊ और देवताओं की सेवा करने वाले  हो वैसे ही कौशाल्या देवी हैं


हे राजन आपके जैसा पुन्य आत्मा जगत में न हुआ न होगा
हे राजन तुम से अधिक पुन्यआत्मा कौन होगा जिसके घर स्वयं जगत के पालन हार विष्णु भगवान ने आपके पुत्र राम के रूप में अवतार लिया है। 


वीर विनीत धरमवृत् धारी गुणसागरवर बालक चारी
तुम कहँ सर्व काल कल्याना सजऊबरातबजाई निशाना

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और जिसके चारों बालक वीर साहसी पराक्रमी तीनों लोक में जानें पहचाने जाते हो जो शांत स्वभाव व धर्म का व्रत धारण करने वाले समुद्र है राजन आपके लिये अति सुखदायी है और राजन अब देर ना करो बरात की तैयारी करो राजा ने सभी को बुलाकर उनके सामने पत्रिका सुनाई सभी नगर वासी प्रसन्न हो गये




समाचार सुनकर रानिया महल में ऐसे सुशोभित हो रही है जैसे मोरनी बादलों की गर्जन सुनकर नाचने लगती है बढ़ी बूढ़ी व गुरु माताएँ आर्शीवाद दे रही है सभी माताएं हर्ष उल्लास के साथ झूम झूम कर खुशियां मना रही हैं।



राजा दशरथ ने राम लक्ष्मण की कीर्ति करणी का वारम्बार गुणगान किया


मुनि प्रसाद कहँ दार सिधाये रानिन तब महादेव बुलाये 
दिये दान आनंद समेता चले विव्रवर आशिष देता

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       ये सब मुनि जी की कृपा है । ऐसा कहकर राजा दशरथ बाहर चले गये तब सभी रानियों ने प्रजा को बुलाया व सब को अधिक से अधिक दान दिया सभी लोग खुश होकर आर्शीवाद देते हुए जा रहे थे|  फिर भिखारियोको बुलाया और उनको भी दान दिया गया|


आकाश में देवी देवता भी नगाड़े डोल बजाकर राम विवाह की खुशियां मना रहे हैं। राजा दशरथ को पुत्र राम का विवाह जनकपुर के राजा जनक की बेटी सीता जी से होगा सभी रास्ते घर गलीया सजाने लगे आयोध्या तो वैसे ही सुन्दर है। क्योंकि वो प्रभु राम की नगरी है। फिर भी मंगल रचनाओं से सजाई गई लोगों ने अपने घरों को सजाकर अत्यधिक सुंदर भव्य बनाया|




शोभा दशरथ भवन के को कवि वरने पार
 जहा सकल सुर शीश मणि राम लीन्ह अवतार 

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राजा दशरथ के महल की शोभा का वर्णन कौन कवि कर सकता है। जहां देवताओं के शिरोमणि श्री राम ने जन्म लिया है। फिर दशरथ ने भरत को बुलाया और कहा जल्दी बारात की तैयारी करो हाथी घोड़े रथ पालकी सजाओं बरात लेकर जनकपुर जाना है। तुरंत ही दोनो भाई भरत व रात्रुधन तैयारी में लग गये


सभी को बुलाकर भारत ने आज्ञा दी सीघ्र सारी तैयारियां करो विभिन्न हाथी घोड़े सजाये गए दोनों भाई धनुष बाण लेकर रथ में सवार हुए


वह अपने साथ एक सैनिकों का काफिला साथ ले चले जिनमें पैदल सिपाही है जो तलवार चलाने में निपुण है। चतुरंगी सेना है तदएव बारात जुटने लगी व सब को एक ही लालसा लगी है। कि राम लक्ष्मण को इन आँखों से कब देखेंगे





                                                            जयश्री सीता राम






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