कृषि किसान बिल क्या है कृषि विधेयक 2020 और इस बिल को लेकर किसान किस तरीके से प्रभावित हैं Agriculture Farm Bill detials, Kisan Bill,Farmers Bill 2021 (Empowerment & Protection) PDF


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Agriculture Farm Bill detials, Kisan Bill,Farmers Bill 2021


Farm Bills 2020: एक लेख को पढ़ने के बाद कृषि से संबंधित सभी प्रश्नों के जवाब आपको जरूर मिल जाएंगे तथा आप समझ पाएंगे कि कृषि बिल है क्या और लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं भारत में कृषि से संबंधित दो अध्यादेश हो को पारित किया गया यह अध्यादेश गुरुवार (September 18, 2020) के दिन लगभग 5 घंटे हुई बहस के बाद पारित किए गए थे





कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, सवर्धन और विधेक-2020 और किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 और इन विधेयकों को लागू कर दिया गया और जैसे ही यह बिल पारित हुआ इसके तुरंत बाद भाजपा यानी कि भारतीय जनता पार्टी को अपने विपक्षियों के साथ-साथ अपने सहयोगियों का सामना भी करना पड़ रहा है और इस बिल के पारित होने के कुछ समय के अंदर ही भारतीय जनता पार्टी के जो सहयोगी दल के मंत्री हरसिमरत कौर ने भाजपा मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया





इन सभी विवादों के बीच भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा की लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधायकों का पारित होना देश के किसानों एवं कृषि क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण हैप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने यह भी ट्वीट करा कर काफी सारे लोग किसानों को भ्रमित करने में लगे हुए हैं मैं सभी किसान भाइयों और बहनों को विश्वास कर आता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी





चलिए अब सीधा आते हैं मुद्दे की ओर कि आखिर यह 3 कृषि विधेयक क्या हैWhat are this 3 agricultural bill





1- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक,2020 के तहत किसान देश के किसी भी कोने में अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे. अगर राज्य में उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा या मंडी सुविधा नहीं है तो किसान अपनी फसलों को किसी दूसरे राज्य में ले जाकर फसलों को बेंच सकता है. साथ ही फसलों को ऑनलाइन माध्यमों से भी बेंचा जा सकेगा, और बेहतर दाम मिलेंगे.
2- मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के तहत किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया गया है. इसके माध्यम से सरकार बिचौलिओं को खत्म करना चाहती है. ताकि किसान को उचित मूल्य मिल सके. इससे एक आपूर्ति चैन तैयार करने की कोशिश कर रही है सरकार.
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन), 2020 के तहत अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आनिवार्य वस्तु नहीं रह गई हैं. इनका अब भंडारण किया जाएगा. इसके तहत कृषि में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का सरकार प्रयास कर रही है.



The farmers (empowerment and protection (सशक्तीकरण और संरक्षण)) agreement (समझौता) on price assurance and farm services bill 2020

Bill No 01




यदि आप सबसे प्रथम विधेयक को पढ़ें तो इसमें दिया गया है सशक्तिकरण और संरक्षण एवं समझौता आम भाषा में कहें तो एग्रीमेंट अब यह 3 शब्द समझने बहुत आसान हो जाते हैं जब आप यह ध्यान में रखकर चलते हैं कि इस बिल को पारित करा किसानों के लिए गया है तो यहां पर हम किसान के सशक्तिकरण संरक्षण की बात करते हैं कानूनी समझौते की मदद से जो कि किसान को उसकी उपज यानी फसल के लिए निर्धारित मूल्य का आश्वासन दिलाता है




इसको आप कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि मान लीजिए आप एक किसान हैं और मैं एक कंपनी हूं मैंने आपसे वादा करा कि मैं आप की फसल आपसे ₹2000 कुंतल कुंटल के मूल्य पर लूंगा परंतु जब आप की फसल पक जाती है और आप उसे मेरे पास लेकर आते हैं तो मैं आपसे बोलता हूं कि आप की फसल अच्छी नहीं है और मुझे इसकी जरूरत नहीं है या फिर मैं आप की फसल के मूल्य को कम कर के आप से खरीद ता हूं तो यह बिल आपको इस धोखाधड़ी से बचाने में मदद करता है



परंतु इस बिल में लिखित 2 शब्दों की तरफ आपको ध्यान देने की बहुत जरूरत है वह है फार्मिंग सर्विसेज अर्थात किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य और यही किसानों की चिंता का एक महत्वपूर्ण कारण है





यदि आप किसान उत्पादन व्यापार को ध्यान से समझें तो इसका मतलब यह होगा कि खरीददार किसान को मुख्य तौर पर यह स्पष्ट कर सकता है और कह सकता है कि किस प्रकार की फसल और उस फसल की श्रेणी क्या होनी चाहिए और वह फसल कब तक तैयार करनी है और इस प्रकार की अन्य बहुत सारी मांगे हो सकती हैं और इसी को आप अनुबंध खेती यानी contract farming के नाम से भी जानते हैं





अब जिस कानूनी समझौते की हम बात कर रहे थे वह यहां पर शर्तों को रेखांकित करेगा, फसल के बारे में और उस फसल को खरीददार तक पहुंचाना तथा और यहां पर किसान को सहमत होना होगा फसल की गुणवत्ता और श्रेणी के लिए और इसके बदले में खरीददार जो कि आमतौर पर एक काफी बड़ी कंपनी होगी वह एग्री करेगी फसल खरीदने के लिए उस मूल्य पर जो शुरुआत में सुनिश्चित किया गया है किसान के और कंपनी के द्वारा और उसके लिए किसान को एक शुरुआत दी मूल्य दिया जाएगा इसका मतलब आप यह कह सकते हैं कि इस विधेयक का प्राथमिक कार्य अनुबंधन खेती यानी contract farming है और इस विधेयक का दूसरा काम होगा एक राष्ट्रव्यापी कानूनी ढांचा तैयार करना जहां पर भारत के किसान खेती कर सकें अनुबंध के अनुसार (According to the contract)और इस सफर भारत सरकार का कहना है कि यह विधेयक  भारतीय खेती के तरीके को बदल देगा और निजी निवेशक को को खेती में निवेश करने के लिए भी आकर्षित करेगा तथा उत्पादन सलाह प्रदान करना



तथापि अगर आप किसान की तरफ देखें तो उनका डर यह है कि शक्तिशाली निवेशक कानूनी तौर पर उन पर हावी ना हो जाए और और उल्टा किसानों पर दायित्व ना बढ़ा दे आप जानते हैं कि आजकल हर चीज शर्तों के साथ आते हैं जिनको हम जैसे शहर में रहने वाले यहां पढ़े-लिखे लोग भी पूर्ण रूप से नहीं समझ पाते तो वहां किसान किस प्रकार इन कानूनी समझौता को समझ पाएंगे तो कहीं ना कहीं किसानों की यह चिंता भी वास्तविक रुप से सही है





The farming produce trade and commerce व्यापार एवं वाणिज्य (promotion and facilitation प्रचार और सुविधा) bill 2020

Bill No 02




आसान शब्दों में अगर समझो तो यह दिल कहता है कि किसान अपनी सब्जी या उत्पादन को सब्जी मंडी तथा और कृषि उत्पाद बाजार समिति (Agricultural produce market committee  )के बाहर भी बेच सकता है इस विधेयक के पहले से किसान कृषि संबंधित व्यापार सिर्फ कृषि उत्पाद बाजार समिति (Agricultural produce market committee) और सब्जी मंडी मैं ही कर सकते थे परंतु यह बिल किसानों को अनुमति देता है अपने कृषि उत्पादन को अपने राज्य तथा राज्य के बाहर कहीं भी बेचने के लिए





अब जैसा कि आपको पता ही होगा कि कि भारत में सभी विषय 3 सूचियों में विभाजित किए गए हैं



Union list सिर्फ केंद्र सरकार कानून बनाएगी
state list राज्य सरकार कानून बनाएगी
concurrent list राज्य तथा केंद्र सरकार दोनों के विषय एक लिस्ट में सम्मिलित है जिसमें केंद्र सरकार को प्राथमिकता दी जाती है इन विषयों के बारे में बताने का कारण यह है ताकि आपको पता रहे कि कृषि जो है वह राज्य सरकार के अधीन आता है अब ऐसा हो सकता है कि कृषि कानून की वजह से काफी सारी राज्य जैसे कि हरियाणा पंजाब राजस्व का एक बड़ा साधन खो सकते हैं





आप सभी ने जरूर सब्जी मंडियों के बारे में सुना होगा यह सब्जी मंडी पूरे देश में सभी राज्यों के अंदर अलग-अलग जगह पर फैली हुई है और जो किसान हैं वह अपने कृषि उत्पादन को बेचने के लिए इन सब्जी मंडी में अलग-अलग राज्यों और जगह से आते हैं और यह जो सब्जी मंडी होती है वह राज्य सरकार के द्वारा नियंत्रित की जाती हैं और इन्हीं कंट्रोल करने के लिए कृषि उत्पाद बाजार समिति का निर्माण किया गया था कृषि उत्पाद बाजार समिति किसानों पर एक प्रतिबंध लगाती है कि यदि किसान सब्जी मंडी या फिर उत्पाद बाजार समिति से बाहर जाकर अपनी कृषि उत्पादन को बेचते हैं या व्यापार करते हैं तो उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं दी जाएगी





आपने देखा होगा कि जो छोटे किसान है वह सीधा ही उपभोक्ता को अपने कृषि उत्पादन बेच देते हैं और यह अभी भी कर चल रहा है लेकिन अगर आप एक बड़े किसान हैं और काफी बड़ी मात्रा में कृषि उत्पादन करते हैं और आप चाहते हैं कि आप के उत्पादन की सुरक्षा सरकार द्वारा की जाए यानी आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले तो उसके लिए यह जरूरी है कि आप अपने कृषि उत्पादन को सब्जी मंडी यहां या APMC के द्वारा ही बेचे





तो मुख्य तौर पर यह बिल किसानों को अपने कृषि उत्पादन को एपीएमसी द्वारा मान्य सब्जी मंडी के बाहर भी बेचने के लिए आजादी देता है इस बिल की सहायता से राज्य सरकार खरीद और बिक्री पर कर नहीं लगा पाएगी जो भी मंडी के बाहर की जाती है और यह बिल किसानों को अपने कृषि उत्पादों को अपनी इच्छा अनुसार एक अच्छे दाम पर बेचने का अधिकार देता है यदि आप ध्यान से देखें तो यह बिल बड़े किसानों को बहुत ही सुविधाजनक है क्योंकि उनके पास बहुत सारे विकल्प होंगे और किसान अपने कृषि उत्पादन को सीधा निजी निवेशको को बेच सकेंगे पर इससे छोटे किसानों को कोई खास प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिए





कृषि बिल का एक और परिप्रेक्ष्य another perspective of the Agricultural bill





परंतु जब आप इस बिल को ध्यान से पढ़ते हैं और उस पर विचार करते हैं तो आपको यह समझ में आता है कि सरकार कहीं ना कहीं कृषि व्यवसाय से बाहर निकलना चाहती है जब किसान खुली मार्केट में आ जाएंगे और वह किसी को भी अपने कृषि उत्पादन बीच बेच सकते हैं और अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं लेकिन यहां पर यह सोचने की जरूरत है कि कृषि उत्पाद प्रभावित हो सकता है बाजार में उनकी मांग मैं बढ़त और कमी की वजह से आप कुछ इस प्रकार समझने की कोशिश करिए कि उत्तर प्रदेश के अंदर किसानों ने बहुत ही बड़ी मात्रा में गन्ने की खेती करें जिसकी वजह से बाजार में गन्ना मांग से ज्यादा आ गया और गन्ने की मांग कम हो गई इससे क्या होगा जो कृषि उत्पाद की कीमत है वह गिर जाएगी लेकिन किसान की जो खेती की पूरी कीमत थी वह तो नहीं कम होगी और किसान कृषि की जुताई और कृषि उत्पादों के मूल्य में आई कमी के बीच में फस जाएगा और इस समय पर सरकार किसानों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करेगी




The essential commodities (आवश्यक वस्तुओं) (amendment) bill 2020

Bill No 03




विधेयक नंबर 3 में संशोधन किया गया है यह कोई नया बिल नहीं है




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